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अलिफ लैला की प्रेम कहानी-62

बुढ़िया ने कहा, धीरे बोलो बेटे, इतनी बड़ी बात मुँह से नहीं निकालते। बगदाद के लोग तुम्हें पागल समझेंगे और तुम्हारी पिटाई कर देंगे। अबुल हसन ने कहा, खूब बातें करती हो तुम। पहले मुझे अपना बेटा बनाया, अब कह रही हो कि मैं पागल हूँ। मैं तुम से कहता हूँ कि मैं पागल नहीं हूँ। मैं अपने पूरे होश-हवास में हूँ। मैं खलीफा हूँ जिसे सब लोग अपने भूलोक का स्वामी कहते हैं और जिसके अधीन दुनिया के सभी राजा-महाराजा हैं। माँ बोली, हाय भगवान, मै क्या करूँ तुम्हारे सिर पर कोई भूत प्रेत सवार हो गया है या खुद शैतान तुम्हें बहका रहा है। भगवान तुम्हारी रक्षा करें। देखो, तुम अबुल हसन हो। तुम मेरी कोख से इसी घर में पैदा हुए हो। यहाँ की हर एक चीज को देखो और पहचानो। इसी घर पर तुम्हारा राज है, सारी दुनिया पर नहीं। खलीफा का पद तुम्हें मिला है मिल सकता है।

 

अबुल हसन कुछ देर माथे पर हाथ धर कर सोचता रहा जैसे कि कोई भूली हुई बात याद कर रहा हो। फिर धीरे-धीरे बडबड़ाने लगा, हो सकता है कि इस बुढ़िया की बात ठीक हो, यही मेरी माता हो और मैं खलीफा हो कर अबुल हसन हूँ। फिर चौंक कर कहने लगा, नहीं-नहीं, यह नहीं हो सकता। जाने मेरे मन में यह तुच्छ विचार कैसे गया कि मैं खलीफा नहीं बल्कि अबुल हूँ। बुढ़िया ने सोचा कि शायद इस ने कोई दुःस्वप्न देखा है जिस से अभी तक अच्छी तरह जाग नहीं सका है। उस ने प्यार से पूछा, बेटे, क्या तुमने रात को कोई स्वप्न देखा है जो ऐसी बातें कर रहे हो? तुम्हें खलीफा बनने की खब्त क्यों है?

 

अबुल हसन ने डाँट कर कहा, बुढ़िया, जबान सँभाल कर बोल। क्या तेरा दिमाग फिर गया है कि खलीफा को अपना बेटा बना रही है और बकवास करती ही जा रही है? इस के अलावा खलीफा की शान में गुस्ताखी भी करती जा रही है। बुढ़िया ने दुखी हो कर कहा, बेटा, भगवान के लिए ऐसी बातें करो। क्या तुमने गली के मुअज्जिन और उस के साथियों का हाल नहीं सुना कि उन्हें कैसी कड़ी सजा दी गई। मुअज्ज

 

िन को चार सौ कोड़े लगे और उस के चार साथियों को सौ-सौ और फिर उन सबों को पीछे की ओर मुँह करके ऊँट पर बिठा कर शहर में घुमाया गया और फिर शहर से निकाल दिया गया। कहीं ऐसा हो कि खलीफा के पास तुम्हारी यह बातें कोई पहुँचा दे और तुम्हारा भी वही हाल हो।

 

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